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Pitambara Temple Datia

Pitambara Peeth Datia

April 4, 2025Kanchan

Pitambara Peeth Datia | पीतांबरा पीठ, दतिया

Pitambara Peeth Datiya, located in Datia, Madhya Pradesh, India | पीतांबरा पीठ, जो मध्यप्रदेश के दतिया में स्थित है, भारत में एक प्रमुख धार्मिक स्थल है।

मातृ शक्ति की आराधना के पर्व नवरात्रि में देश भर के विभिन्न मंदिरों में भक्तों की भीड़ लगी रहती है। इस खास अवसर पर हम आपको मध्यप्रदेश के दतिया जिले में स्थित मां पीतांबरा Pitambara Peeth Datia के मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे एक सिद्धपीठ माना जाता है। इस मंदिर की स्थापना 1935 में स्वामीजी ने की थी। यहाँ पर भारत के पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, अटल बिहारी वाजपेयी और राजमाता विजयाराजे सिंधिया जैसे प्रसिद्ध व्यक्तित्व भी आकर माता का आशीर्वाद प्राप्त कर चुके हैं। माना जाता है कि इस मंदिर में आने से भक्तों की मनोकामनाएँ पूरी होती हैं और उन्हें राजसत्ता का सुख भी प्राप्त होता है।

मंदिर के बारे में महत्वपूर्ण बातें:

Pitambara Peeth Datia मध्यप्रदेश के दतिया जिले में स्थित मां पीतांबरा को राजसत्ता की देवी के रूप में पूजा जाता है। भक्त यहाँ विशेष रूप से राजसत्ता की प्राप्ति के लिए आकर गुप्त पूजा अर्चना करते हैं।

माँ पीतांबरा को शत्रु नाश की देवी भी माना जाता है, और उनके दर्शन करने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है। राजसत्ता के लिए पूजा का विशेष महत्व है। यह सिद्धपीठ स्वामीजी की तपस्या और जप के परिणामस्वरूप प्रसिद्ध हुआ और आज एक चमत्कारी स्थल के रूप में जाना जाता है।

यहां के दर्शन भक्त एक छोटी सी खिड़की से करते हैं। मंदिर परिसर में स्थित वनखंडेश्वर महादेव शिवलिंग को महाभारत काल से जुड़ा माना जाता है। स्वामीजी के जप और तप के कारण यह स्थान सिद्ध पीठ के रूप में प्रसिद्ध है।

सिंधिया परिवार Sciendia Family के लिए मंदिर परिसर में एक विशेष गेस्टहाउस भी बना हुआ है, जहाँ वे व्यक्तिगत अनुष्ठान के दौरान रुकते हैं। यह भी कहा जाता है कि राजमाता विजयाराजे नवरात्रि के नौ दिनों तक यहां साधना करती थीं।

मां पीतांबरा की कृपा से कई प्रमुख नेता जैसे माधवराव सिंधिया, राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, ज्योतिरादित्य सिंधिया, अर्जुन सिंह, दिग्विजय सिंह, उमा भारती, शिवराज सिंह चौहान और अन्य कई राजनेताओं ने राजनीति में ऊंचाईयों को छुआ है।

इसके अलावा, मुंबई बम कांड के दोषी संजय दत्त भी अपने ऊपर चल रहे मुकदमे के दौरान मां के दरबार में मत्था टेकने आए थे।

इतिहासिक घटनाएँ:

1962 में भारत और चीन के बीच युद्ध के दौरान, स्वामीजी ने फौजी अधिकारियों और प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के अनुरोध पर मां बगलामुखी की प्रेरणा से 51 कुंडीय महायज्ञ का आयोजन कराया था। इस यज्ञ के परिणामस्वरूप, चीन ने अपनी सेनाओं को वापस बुला लिया था। यज्ञ के लिए बनाई गई यज्ञशाला आज भी वहां मौजूद है और इस घटना का उल्लेख पट्टिका पर किया गया है।

जब भी देश पर विपत्तियाँ आती हैं, तब गुप्त रूप से मां बगलामुखी की साधना और यज्ञ करवाए जाते हैं, जिससे संकटों से उबरने में मदद मिलती है। 1965 और 1971 में हुए भारत-पाकिस्तान युद्धों में भी मां बगलामुखी ने देश की रक्षा की थी। 2000 में हुए कारगिल युद्ध के दौरान भी कुछ विशिष्ट साधकों ने मां बगलामुखी की गुप्त साधनाएं और यज्ञ किए, जिसके परिणामस्वरूप दुश्मन को हार का सामना करना पड़ा। कहा जाता है कि यह यज्ञ तात्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कहने पर कराया गया था।

मां पीतांबरा शक्ति की कृपा से कई बड़ी विपत्तियाँ देश से टल चुकी हैं, और यह सिद्धपीठ आज भी आस्थावानों के लिए शक्ति और समृद्धि का स्रोत बना हुआ है।

नवरात्रि पूजा कैसे करें:

नवरात्रि भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसमें माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। यह विशेष रूप से भक्तों के लिए एक उपासना, साधना और आत्मिक शुद्धता का समय होता है। नवरात्रि पूजा को सही विधि से करना जरूरी है ताकि हमें माँ दुर्गा का आशीर्वाद मिल सके।

नवरात्रि पूजा की विधि:

  1. पूजन की तैयारी:

    • सबसे पहले, एक स्वच्छ स्थान पर पूजा स्थल तैयार करें। इस स्थान को अच्छे से साफ करें और वहां एक चादर या आसन बिछा लें।

    • पूजा में प्रयोग होने वाली सभी सामग्री जैसे – फूल, दीपक, धूप, जल, कपूर, मौली, चंदन, मिष्ठान, फल आदि पहले से तैयार कर लें।

  2. स्नान और शुद्धता:

    • पूजा से पहले स्नान करके शुद्ध हो जाएं और पूजा स्थल पर पवित्रता बनाए रखें। यह माना जाता है कि इस समय शुद्धता और आत्मनिर्भरता का विशेष महत्व होता है।

  3. माँ दुर्गा का आह्वान:

    • पूजा स्थल पर माँ दुर्गा के चित्र या मूर्ति की स्थापना करें।

    • फिर शुद्ध शुद्ध जल से माँ का आचमन करें और फिर उन्हें ताजे फूल अर्पित करें।

    • इसके बाद दीपक जलाएं और उनकी आरती करें।

  4. नवग्रह पूजा और देवी रूपों का पूजन:

    • नवरात्रि के नौ दिनों में माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। प्रत्येक दिन अलग-अलग रूप की पूजा करनी चाहिए।

      • पहले दिन: शैलपुत्री

      • दूसरे दिन: ब्राह्मचारिणी

      • तीसरे दिन: चंद्रघंटा

      • चौथे दिन: कूष्मांडा

      • पांचवे दिन: स्कंदमाता

      • छठे दिन: कात्यायनी

      • सातवें दिन: कालरात्रि

      • आठवें दिन: महागौरी

      • नौवें दिन: सिद्धिदात्री

  5. व्रत और उपवास:

    • नवरात्रि में व्रत रखना एक सामान्य परंपरा है, जिसमें लोग फलाहार (फल और दूध) का सेवन करते हैं। हालांकि, यह व्रत व्यक्ति की क्षमता और इच्छा पर निर्भर करता है।

    • व्रत रखने वाले व्यक्ति विशेष रूप से नौ दिनों तक उत्तम आचरण और संयम का पालन करते हैं।

  6. भजन और कीर्तन:

    • पूजा के दौरान माँ दुर्गा के भजन और कीर्तन गाने से वातावरण में पवित्रता और ऊर्जा का संचार होता है।

    • “जय माँ दुर्गे” का जाप भी निरंतर करते रहें।

  7. प्रसाद वितरण:

    • पूजा के बाद, माँ के भोग को प्रसाद के रूप में वितरित करें। यह प्रसाद भक्तों को माँ की कृपा प्राप्त करने का एक माध्यम होता है।

  8. आरती और अर्चना:

    • दिन के अंत में माँ की आरती करें और उनका धन्यवाद अर्पित करें। यह पूजा समाप्ति की निशानी है।

नवरात्रि पूजा का महत्व:

  • नवरात्रि पूजा से मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक शुद्धता प्राप्त होती है।

  • यह देवी माँ के साथ रिश्ते को मजबूत करता है और जीवन में सुख-शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

  • नवरात्रि में विशेष रूप से शक्ति की पूजा की जाती है, जिससे जीवन में आने वाली कठिनाइयों से लड़ने की ताकत मिलती है।

नवरात्रि के इन नौ दिनों को आत्म-निर्माण, साधना और भक्ति का समय मानें। माँ दुर्गा की पूजा से न सिर्फ आध्यात्मिक लाभ मिलता है, बल्कि यह जीवन के हर क्षेत्र में सफलता और सुख-शांति लाने में मदद करती है।

जय माँ दुर्गा!

पीतांबरा पीठ, दतिया:

पीतांबरा पीठ एक अत्यंत प्रसिद्ध और पवित्र मंदिर है, जो मध्यप्रदेश राज्य के दतिया जिले में स्थित है। यह मंदिर माँ पीतांबरा (माँ दुर्गा के एक रूप) को समर्पित है, और यहाँ आने वाले भक्तों की आस्था और श्रद्धा का मुख्य केंद्र है। यह स्थान धार्मिक दृष्टि से अत्यधिक महत्व रखता है, और यहाँ प्रतिवर्ष लाखों भक्त दर्शन के लिए आते हैं।

पीतांबरा पीठ का इतिहास:

पीतांबरा पीठ का इतिहास बहुत पुराना है, और इस मंदिर के संबंध में कई कथाएँ प्रचलित हैं। मंदिर की मान्यता के अनुसार, यह स्थल वही है जहाँ माँ पीतांबरा ने अपनी उपस्थिति को महसूस कराया था। यहाँ पर माँ दुर्गा के एक रूप के रूप में पीतांबरा माँ की पूजा होती है, जो भक्तों को शक्ति, समृद्धि और मानसिक शांति प्रदान करती हैं।

माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण प्राचीन समय में हुआ था और समय के साथ-साथ यह स्थान एक प्रमुख धार्मिक स्थल बन गया। इसके अलावा, पीतांबरा पीठ को सच्ची भक्ति, तप, और साधना का स्थान माना जाता है। यहाँ की भव्यता और शांत वातावरण भक्तों को आत्मिक शांति और आशीर्वाद प्रदान करता है।

पीतांबरा पीठ की विशेषताएँ Pitambara Peeth Datia :

  1. माँ पीतांबरा की पूजा:
    पीतांबरा पीठ में माँ पीतांबरा की पूजा मुख्य रूप से होती है। उनकी पूजा विधिपूर्वक की जाती है और भक्त यहाँ माँ की कृपा प्राप्त करने के लिए विभिन्न प्रकार के अनुष्ठान करते हैं।

  2. मंदिर का वास्तु:
    पीतांबरा पीठ का मंदिर बहुत भव्य है और यहाँ का वास्तुकला धार्मिक रूप से अद्भुत है। मंदिर परिसर में माँ पीतांबरा की मूर्ति के अलावा अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियाँ भी स्थापित हैं।

  3. नवरात्रि महोत्सव:
    नवरात्रि के दौरान पीतांबरा पीठ में विशेष पूजा और आयोजन होते हैं। इस समय यहाँ भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। नवरात्रि के पहले और आखिरी दिन विशेष आरती और पूजा का आयोजन होता है, जिसमें बड़ी संख्या में लोग शामिल होते हैं।

  4. भक्ति और साधना:
    पीतांबरा पीठ को साधना और ध्यान का प्रमुख स्थान माना जाता है। यहाँ आकर भक्त अपनी आत्मा को शुद्ध करने, मानसिक शांति प्राप्त करने और जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति के लिए साधना करते हैं।

  5. अन्य धार्मिक स्थल:
    पीतांबरा पीठ के आसपास कई अन्य धार्मिक स्थल भी स्थित हैं, जो भक्तों के लिए आकर्षण का केंद्र हैं। यहाँ की शांत और आस्था से भरी हुई वातारवरण भक्तों को एक गहरी आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करता है।

कैसे पहुँचें पीतांबरा पीठ How to Reach Pitambara Peeth Datia ?

  • सड़क मार्ग: दतिया जिले का पीतांबरा पीठ आसानी से सड़क मार्ग से पहुँच सकता है। ग्वालियर और दतिया के बीच नियमित बस सेवाएँ उपलब्ध हैं। इसके अलावा, निजी वाहन से भी यहाँ पहुँचा जा सकता है।

  • रेल मार्ग: दतिया रेलवे स्टेशन नजदीक है, जिससे रेल यात्रा द्वारा भी यहाँ पहुँचा जा सकता है।

  • हवाई मार्ग: ग्वालियर एयरपोर्ट पीतांबरा पीठ से लगभग 75 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, और यहाँ से टैक्सी या बस से मंदिर तक पहुँचा जा सकता है।

पीतांबरा पीठ का महत्व Importance of Pitambara Peeth Datia:

पीतांबरा पीठ सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि आस्था, भक्ति और समर्पण का प्रतीक है। यहाँ की पूजा विधि, वातावरण और धार्मिक महत्व भक्तों के लिए एक अत्यंत पवित्र और आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करती है। यहाँ आने से भक्तों को मानसिक शांति, स्वास्थ्य लाभ, और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा की प्राप्ति होती है।

जय माँ पीतांबरा!

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