Diwali Pooja Muhurat – दिवाली पूजा मुहूर्त :
दिवाली का त्योहार कार्तिक अमावस्या को प्रदोष काल में मनाते हैं क्योंकि उस समय में ही माता लक्ष्मी की पूजा करते हैं. इस साल दिवाली 12 नवंबर रविवार को है. उस दिन सौभाग्य योग और स्वाती नक्षत्र में मां लक्ष्मी की पूजा विधि विधान से की जाएगी. इस बार दिवाली पर पूजा के लिए दो शुभ मुहूर्त प्राप्त हैं.
दिवाली का इतिहास (Diwali History)
पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस पवित्र त्योहार का आदान-प्रदान प्रभु श्रीराम के लंका विजय की घटना से जुड़ा हुआ है। इस दिन, श्रीराम ने अपनी पत्नी सीता जी के साथ अयोध्या को विजयी वापसी की, और अयोध्यावासियों ने इस खुशी के मौके पर उनका स्वागत दीपों के प्रशंसापूर्ण प्रज्ज्वलन के साथ किया। इस साकारात्मक समय को याद करते हुए, दिवाली का आयोजन आरंभ हुआ, और यह पर्व समृद्धि, सुख, और प्रसन्नता का प्रतीक माना जाता है।
इस पर्व का इतिहास पद्म पुराण और स्कंद पुराण में भी मिलता है। वैज्ञानिकों के अनुसार, हिंदू कैलेंडर के कार्तिक मास में सूर्य की स्थिति में परिवर्तन होता है, जिससे दिन छोटे होते हैं और रातें बढ़ती हैं। इस बदलते ग्रहों के साथ जुड़े वैशिष्ट्य के कारण, दिवाली का आयोजन कार्तिक मास में होता है।
सनातन धर्म के चार प्रमुख पर्वों में दीपावली का प्रमुख स्थान है। इसे कार्तिक अमावस्या को मनाया जाता है।
Diwali Pooja Muhurat: दिवाली पर लक्ष्मी पूजा के हैं 2 शुभ मुहूर्त
दिवाली 2023 का तिथि मुहूर्त
कार्तिक कृष्ण अमावस्या तिथि का शुभारंभ: 12 नवंबर, रविवार, दोपहर 02:44 बजे से
कार्तिक कृष्ण अमावस्या तिथि का समापन: 13 नवंबर, सोमवार, दोपहर 02:56 बजे तक
इस दीपावली पर 5 राजयोग जो एक साथ दृश्यमान होंगे, उनका विवरण निम्नलिखित है:
- गजकेसरी योग: इस साल दिवाली पर, गजकेसरी योग का निर्माण हो रहा है, जो शुक्र और बुध ग्रहों की स्थिति से समृद्धि और मान-सम्मान का स्रोत माना जाता है।
- हर्ष योग: दिवाली के इस त्योहार पर, हर्ष योग भी समृद्धि और यश का अनुभव करने का अवसर प्रदान करेगा, धन में वृद्धि के साथ।
- उभयचरी योग: काहल, उभयचरी और दुर्धरा योग, ये सभी दिवाली को शुभता और शांति के साथ योगदान करेंगे।
- दुर्धरा योग: दुर्धरा योग, दिवाली को आनंदमय और शांतिपूर्ण बनाए रखने में सहायक होगा।
- शनि महापुरुष राजयोग: दिवाली के इस खास मौके पर, शनि का स्वयं की राशि कुंभ में विराजमान होने से एक दुर्लभ संयोग उत्पन्न हो रहा है, जो शश महापुरुष राजयोग को उत्पन्न करेगा।
इस दीपावली पर, आयुष्मान और सौभाग्य योग भी निर्माण हो रहे हैं, जो आपके जीवन में स्वास्थ्य और सौभाग्य की वृद्धि का सिद्धांत करेंगे।
Wish you a very happy DIWALI !!!
Diwali Pooja Muhurat: दिवाली पर लक्ष्मी पूजा के हैं 2 शुभ मुहूर्त
दिवाली 2023 का तिथि मुहूर्त
कार्तिक कृष्ण अमावस्या तिथि का शुभारंभ: 12 नवंबर, रविवार, दोपहर 02:44 बजे से
कार्तिक कृष्ण अमावस्या तिथि का समापन: 13 नवंबर, सोमवार, दोपहर 02:56 बजे पर
दीपावली: प्रकाश का त्योहार: Diwali Pooja Muhurat
दीपावली, भारत में एक बहुत प्रमुख त्योहार है जो प्रकाश और खुशियों की ओर संकेत करता है। यह हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है जो हर साल अक्टूबर और नवम्बर के बीच मनाया जाता है। दीपावली, जिसे ‘दीपों का त्योहार’ भी कहा जाता है, अपनी रौंगत और सामरिक अर्थ में ही नहीं, बल्कि आध्यात्मिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है।
- पौराणिक दृष्टि से: दीपावली का सबसे प्रसिद्ध कारण है प्रभु श्रीराम की विजय। अनुसार, श्रीराम ने अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ वनवास के बाद अयोध्या लौटते समय, लंका में रावण पर विजय प्राप्त की थी। अयोध्यावासियों ने उनका स्वागत दीपों के प्रज्ज्वलन से किया और उसी दिन को दीपावली के रूप में मनाने का पर्व बनाया।
- सामाजिक महत्व: दीपावली के दिन, लोग अपने घरों को दीपों, रंग-बिरंगी लाइट्स और दीपावली के खास दिए से सजाते हैं। घर के चारों ओर एक खास रौंगत का आभास होता है, जो एकता, सामर्थ्य, और समृद्धि का प्रतीक है। लोग एक दूसरे के साथ मिलकर खुशियों का आनंद लेते हैं और एक दूसरे को उपहार भेजकर प्यार का इज़हार करते हैं।
- आध्यात्मिक तत्त्व: दीपावली आध्यात्मिक परिवर्तन का समय होता है। यह दिन ज्ञान के प्रकाश से अंधकार को दूर करने का संकेत है। व्यक्ति अपने आत्मज्ञान में सुधार करता है और अध्यात्मिक उन्नति की दिशा में कदम बढ़ाता है।
- उत्सव और आकर्षण: दीपावली के दिन लोग विभिन्न रूपों में उत्सव का आयोजन करते हैं। रंग-बिरंगी पुस्तक, सांगीतिक कार्यक्रम, रात्रि पूजाएँ, और अन्य सामाजिक गतिविधियों का आयोजन किया जाता है।
- स्वच्छता का संदेश: दीपावली के दिन लोग अपने घरों को सजाकर, साफ-सुथरा और आकर्षक बनाए रखते हैं। इससे एक स्वच्छता अभियान का संदेश भी मिलता है।
इस रूप में, दीपावली हमें प्रकाश, समृद्धि, और आत्म विकास की दिशा में प्रेरित करता है, और यह सामाजिक, सांस्कृतिक, और आध्यात्मिक सांस्कृतिकों का एक अद्वितीय समर्पण है। इस दिन को उत्सवीत करने के लिए लोग दुनियाभर में मिलकर बधाईयों का आदान-प्रदान करते हैं, और इस मौके पर अच्छे कार्यों का संकलन करते हैं।
दीपावली न केवल एक पारंपरिक त्योहार है, बल्कि यह एक आत्मिक और सामाजिक ऊर्जा का स्रोत भी है। इसे अपने परिवार और समुदाय के साथ मिलकर मनाने से हम अपने आस-पास के लोगों के साथ सजीव, समृद्धि भरा संबंध बना सकते हैं और साझा किए जाने वाले प्रेरणादायक अनुभवों का आनंद उठा सकते हैं।
इस दीपावली पर, हमें सभी एक-दूसरे के साथ मिलकर सजग रहना चाहिए, और प्रेम, सजगता, और समर्पण की भावना के साथ इस खास मौके का आनंद लेना चाहिए। यह सुनिश्चित करेगा कि हम एक दूसरे के साथ साझा किए जाने वाले सुखद और स्मृतिशील पलों को सजीव रखते हैं और दीपावली का संदेश पूरे समुदाय में बढ़ता रहे।
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